कोराडी: एक धार्मिक और आध्यात्मिक संगम का स्थल
कोराडी नागपुर के आग्रहरों में एक ऐसा स्थान है जो आपको अपनी सुंदरता और धार्मिक महत्व के कारण मोह लेता है। यह स्थान नागपुर से लगभग 15 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और ' श्री महालक्ष्मी जगदम्बा माता ' मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर में देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह देवी जगदम्बा के 51 शक्ति-पीठों में से एक के रूप में महत्वपूर्ण है। नवरात्रि के नौ दिनों के त्योहार के दौरान मंदिर में भक्तों का भारी संख्या में आगमन होता है, जहां रात्रि में मंदिर के परिसर में 50,000 से अधिक दीपकों से प्रकाशित किया जाता है।
माँ जगदम्बा के दरबार में एक भव्य चांदी का द्वार है और मंदिर की मूर्ति भी स्वयंभू है जो विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन विभाग ने इसे पर्यटन स्थल की सूची में शामिल किया है और चार वर्ष पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इसे राजस्थान से आए धौलपुर के पत्थरों से पुनर्निर्माण किया गया है।
माँ जगदम्बा के मंदिर में दिनभर ज्योत जलती है और इसके परिसर में भगवान शिवजी का भी एक मंदिर है। यहां भक्तों को माँ की चुनरी और फूलमाला की दुकानें भी आकर्षित करती हैं। मंदिर के आसपास का इलाका भी साफ़-सुथरा रखा जाता है।
कोराडी नागपुर के आग्रहरों में यह एक प्रसिद्ध स्थान है जो आपको अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए खींचता है। इस स्थान पर आपको श्री महालक्ष्मी जगदम्बा माता के मंदिर में जाने का अवसर मिलता है, जिसमें आप उनके सुंदर आराध्य विग्रहों को देख सकते हैं। माँ जगदम्बा की अनंत शक्ति और आशीर्वाद से परिपूर्ण मंदिर में आपको शांति और आत्मीयता का अनुभव होगा। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच मंदिर के स्थान पर आपको अद्भुत आनंद मिलेगा जो आपके मन को पवित्र कर देगा।
साथ ही, कोराडी में स्थित "भारतीय विद्या भवन" भी एक रोचक स्थान है, जिसमें ऐतिहासिक और धार्मिक चित्रकला रखी गई है। यहाँ आपको भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण संदेशों को समझने का अवसर मिलेगा। चित्रकलाएं वहाँ के इतिहास और धरोहर को दर्शाती हैं, जो आपको अपने देश की धरोहर और प्राचीनता का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।
इसलिए, जब भी आप नागपुर के आस-पास घूमने का मौका पाएं, तो कोराडी जरूर देखना न भूलें। यहाँ के धार्मिकता का अनुभव और संस्कृति के अद्भुत संगम से आपका मन आनंदित होगा और आपके सफल यात्रा का एक यादगार अनुभव होगा।
इतिहास
कोराडी, पहले जाखापुर नाम से जाना जाने वाला स्थान, राजा झोलन के सात पुत्रों के साथ रहता था। राजा के दुखी होने का कारण कन्यारत्न की अभाविता थी। उन्होंने भगवान के प्रसन्न होने के लिए विभिन्न धार्मिक अभ्यास किए और कन्यारत्न का अनुरोध किया। उसे कठिन परिस्थितियों में राजा के निर्णय करने में मदद मिलती थी और उसने न्याय का पालन किया।
जब वे अवतार पूर्ण हो गए, सूर्यास्त के बाद उस स्थान पर देवी विराजमान हुईं, जिसे आजकल महालक्ष्मी जगदंबा संस्थान कोराडी के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर को शक्ति पीठ के रूप में माना जाता है और यह नागपुर से लगभग 15 किमी उत्तर में स्थित है। इसका निर्माण हेमाडपंथी द्वारा किया गया था और यह प्राचीनता का प्रतीक है।
इस मंदिर में भक्तों का विश्वास है कि जो भी इस मंदिर में भगवानी की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जिससे वे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के स्तंभ में सफलता प्राप्त करते हैं।
1 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएं